शादी के बाद वजन का बढ़ना
शादी, जिसका सपना लगभग हर अविवाहित युवक और युवती देखते हैं। भले ही आज के कैरियर माइंडेड युवा थोड़ा देर से शादी करते हैं पर शादी उनकी सूची में एक अहम स्थान अवश्य रखती है। यही शादी जब होती है (चाहे जितनी भी योजना अनुसार की गई हो) तो जीवन 180 डिग्री की धुरी पर घूम जाता है। सब कुछ बदल जाता है कभी बहुत अच्छा कभी बहुत बुरा अनुभव होता है शादी। पर यदि एक सामान्य शादी की बात करें तो कुछ खट्टे, मीठे अनुभव का नाम शादी है। बहुत से बदलावों के बीच एक वजनदार बदलाव भी आता है वो है वजन का बढ़ना। वैसे तो पति-पत्नी दोनों का वजन बढ़ता है परन्तु ज्यादातर पत्नियों पर इसका प्रभाव ज्यादा देखा जाता है। ऐसे क्या कारण हो सकते हैं कि शादी के बाद वजन नियंत्रण में नहीं रहता? आइये जाने:
ऐसा क्यों होता है
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- सबसे पहला कारण है बदला हुआ परिवेश, नयाघर नए रिश्तों के साथ तालमेल बिठाने में शादी से पूर्व की दिनचर्या कहीं खो सी जाती है। नए माहौल को समझने का दबाव भी दिल और दिमाग पर रहता है । इस बदलाव को अपनाने में वजन कब बढ़ जाता है पता ही नहीं चलता।
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- शादी के बाद कई जिम्मेदारियाँबढ़ जाती हैं – रिश्तेदारियां निभाना, घर के काम, सबकी पसंद नापसंद का ख्याल, इन सब के बीच अपने सेहत के ध्यान की क़ुरबानी दी जाती है। सबका ध्यान रखा जाता है पर स्वयं को उपेक्षित कर दिया जाता है। बढ़ते वजन पर ध्यान जाता भी है तो समय नहीं निकल पाता उस पर नियंत्रण करने के लिए।
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- आजकल शादी भी लगभग तीस वर्ष की आयु में होती है। पढ़ाई और नौकरी के कारण युवाओं में शादी की उम्र को आगे बढ़ा दिया है। और इस आयु तक आते-आते मेटाबोलिज्म भी कम होने लगता है। इस कारण से ही वजन बढ़ता है। मेटाबोलिज्म में कमी आना वजन बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भोजन द्वारा ग्रहण की गई कैलोरी बर्न नहीं हो पाती जिससे वजन का बढ़ना स्वाभाविक है।
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- शादी के बाद वजन बढ़ने में हमारी मानसिक अवस्था भी अहम भूमिका निभाती है। शादी से पहले अकसर अच्छा लगने का भाव मन, मस्तिष्क में रहता है। जो युवा पहले से ही थोड़ा ज्यादा वजन के होते हैं वो भी नियमित व्यायाम आदि करके अपना वजन नियंत्रित रखते हैं क्योंकि अपने को वजन के कारण अस्वीकृत (विवाह हेतु) न होने की इच्छा प्रबल होती है या फिर विवाह वाले दिन बेहद आकर्षित दिखना चाहते हैं, परन्तु जैसे ही विवाह हो जाता है ये सब भाव बदल जाते हैं। किसी को आकर्षित करने के भाव की जगह वजन के प्रति लापरवाही आ जाती है। खान पान बदलने, व्यायाम न होने से पहले की अपेक्षा वजन एकदम तेजी से बढ़ता है।
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- विवाहित युगल एक दूसरे के साथ अधिक समय बिताना चाहते हैं इसके लिए बाहर घूमने जाना, बाहर का खाना, एक दूसरे के अनुरूप अपने आप को ढालना इत्यादि सब में अपनी पसंद नापसंद भूलकर दूसरे के पसंद का खान-पान, खाने की मात्रा के साथ तालमेल बिठाने से भी वजन बढ़ जाता है। पुरुष की अपेक्षा महिला की खाने की क्षमता कम होती है पर पुरुष द्वारा अधिक खाने के आग्रह को अस्वीकार न करने के कारण भी महिलाओं का वजन बढ़ जाता है।
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- बदले परिवेश में एक अन्य कारण जिसका प्रभाव हमारे वजन पर पड़ता है वह है नींद की कमी । विवाह के बाद नींद का समय व अवधि कभी कम या ज्यादा होने के कारण भी वजन बढ़ता है। निंद्रा चक्र का बदलना वजन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण
अब वजन बढ़ने का वो कारण जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और इस कारण में तो स्वयं चिकित्सक भी वजन बढ़ाने का परामर्श देते हैं । यह कारण है गर्भधारण करना । गर्भ धारण करते ही खान-पान बढ़ जाता है और शारीरिक श्रम की गतिविधियां समाप्त सी हो जाती हैं, शिशु के हित के लिए आवश्यक है कि सभी पोषक तत्वों का सेवन किया जाए। गर्भावस्था में वजन का बढ़ना उचित भी है परन्तु प्रसव के बाद शिशु के पालन में एक माँ को इतना समय नहीं मिल पाता कि वह बढ़े हुए वजन को कम कर सके।
इसके अतिरिक्त कुछ युवतियां गर्भ धारण रोकने के लिए दवाओं का सेवन भी करती हैं इन दवाओं के प्रभाव के कारण भी वजन बढ़ जाता है।
एक सामान्य प्रवृति महिलाओं की यह होती है कि वो सब का बचा हुआ खाना भी खा लेती है यह आदत भी वजन बढ़ने का एक कारण बन जाती है। और यदि शादी का अनुभव कड़वा हो तो भी तनाव के कारण और अपने प्रति उदासीनता के कारण भी वजन बढ़ जाता है।
इसके नियंत्रित के उपाय
जिस तरह शादी के बाद वजन बढ़ने के बहुत से कारण है, उसी तरह शादी के बाद वजन को नियंत्रित रखने के बहुत से उपाय हो सकते हैं, जरूरत है तो सिर्फ अपनी सोच का दायरा विकसित करने की, अपने सोच को सकारात्मक बनाने की और फिर उस सोच में अपने परिवार को भी शामिल करने की। नम्रता से, स्नेह से अपना पक्ष रखें, अच्छी सेहत के फायदे परिवार को समझाएं फिर जहाँ कहीं खान-पान में अपौष्टिक्ता व अति दिखाई दे वहां अपना कम और पौष्टिक खाने का पक्ष रखें। आपकी बात का सम्मान अवश्य होगा ।
यहाँ जरूरत सबसे पहले अपने ऊपर नियंत्रण रखने की है । संतुष्टि का सिगनल पहचाने जहाँ यह लगे अब और नहीं वहीं खाने पर विराम लगा दें। जबरदस्ती खाना और बचा हुआ खाना की प्रवृति का त्याग करना होगा। सेहत से बढ़कर कुछ नहीं है इस संसार में।
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- अपने जीवन साथी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने । अपने साथी को स्वस्थ जीवनशैली की महत्ता बताएं।
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- जब भी बाहर जाना हो, साथ में समय बिताना हो तो केवल खाने पर ही ध्यान न केंद्रित करें । सुबह की सैर, शाम का टहलना, योगा, एरोबिक्स, जिम ,तैराकी, नृत्य कक्षा ऐसे कई तरीके हैं जिनमें एक पंथ दो काज हो सकते हैं । साथी का साथ भी और सेहत भी।
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- यदि किसी भी कारणवश आपका जीवनसाथी वज़न / सेहत के प्रति उदासीनता दिखाए तो आप अपना नियम न तोड़ें। आप स्वस्थ रहेंगे तो खुश भी रहेंगे। और यदि आप खुश हैं तो परिवार को भी खुश रख पाएंगे। वजन बढ़ने से तनाव व कुंठा उत्पन्न होती है जिसका प्रभाव हमारे संबंधों पर भी पड़ता है।
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- पूर्ण प्रयास करें की आपकी दिनचर्या नियमित हो पाए, घर में पौष्टिक आहार से संबंधित सभी सामग्री रखें जिस से बिना वजह फ़ास्ट फ़ूड / जंक फ़ूड खाने की परिस्थितिन उत्पन्न हो।
स्वस्थ रहना है तो वजन नियंत्रण में रखना होगा और उसके लिए प्रयास तो करने होंगे। आपका स्वास्थ्य उत्तम होगा तभी आप परिवार को भी अपना सर्वोत्तम दे पाएंगे।