भारत में 14.2 प्रतिशत महिलाएं करती हैं तंबाकू का सेवन

70

use-of-tobacco-in-India

31 मई को पूरा विश्व तंबाकू निषेद्य दिवस मनाता है। मतलब नो टू तंबाकू। आपको जान कर हैरानी होगी की भारत में 2 प्रतिशत महिलाएं स्मोकिंग करती हैं। आप कह सकते हैं कि वे  सिगरेट, हुक्का और बीड़ी के कश लगाती हैं, लेकिन 14.2 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो सिगरेट, हुक्का या बीड़ी तो नहीं पीतीं लेकिन तंबाकू का सेवन अन्य रूप में करती हैं। मसलन जर्दा, खैनी, पान मसाला या ऐसे अन्य पर्दार्थ जिनमें तंबाकू शामिल रहता है। हाल ही में जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। भारत में रोजाना पांच हजार से ज्यादा बच्चे हर रोज तंबाकू की लत का गले लगा रहे हैं। तंबाकू का सेवन महिला करे या पुरुष ये दोनों के लिए समान रूप से घातक है, लेकिन जिस तेजी से बच्चे तंबाकू की लत को गले लगा रहे हैं, ऐसे में ये सहज ही समझा जा सकता है कि जिस परिवार में महिला खुद तंबाकू का उपयोग करती होंगी वहां उनके लिए अपने बच्चों को इस लत से दूर हटाना कितना मुश्किल होता होगा। तंबाकू के समाज में पड़ रहे प्रभावों से उपजे नतीजे खतरनाक तौर पर हमारे सामने हैं। आइए जानते हैं तंबाकू के हमारे समाज पर किस तरह प्रभाव पड़ रहा है और महिलाएं, बच्चे और पुरुष उससे कैसे प्रभावित हो रहे हैं।

भारत में आने वाले  24 घंटे के दौरान करीब 2739 लोग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के कारण कैंसर व इससे होने वाली बीमारियों से दम तोड़ देंगे। ऐसा हर रोज हो रहा है। इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाली बीमारियों  और मौतों की रोकथाम को ध्यान में रखकर इस वर्ष 2018 का  थीम टोबेको और कार्डियेावैस्कूलर डिजिज (तंबाकू और हृदय रोग)’’ रखा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सहयोगी लोगों को तंबाकू और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के बीच के संबंध के बारे में जागरूक करेंगे, जिसमें हृद्याघात (स्ट्रोक) भी शामिल है, जो दुनिया में मौत का एक प्रमुख कारण है।

तंबाकू के उपयोग को रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी -10) के तहत बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी लत को छोडऩे की दर बहुत कम है। भारत में तंबाकू सेवन की लत को छोडऩे की दर केवल 3 प्रतिशत ही है। इस लत को छोडऩे की इतनी कम संभावना और तंबाकू के उपयोग की इतनी अधिक आशंका के कारण बीमारियां बढ़ती है। तंबाकू और इसके सेवन के प्रसार को सही ही तंबाकू महामारी कहा गया है।

विशेषज्ञों ने आम लोगों में सामान्य रूप से प्रचलित  धुएं रहित या चबाने वाला तम्बाकू, सिगरेट और बिड़ी से सुरक्षित है और इससे  दिल की बीमारी नहीं होती की इस धारणा को भ्रामक और गलत बताया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन  स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। धूम्रपान या चबाने के रूप में तंबाकू का उपयोग कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।

वायस ऑफ टोबेको विक्टिमस के पैट्रन (वीओटीवी) व ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) दिल्ली के प्रोफेसर और कार्डियक थोरैसिक और वेस्कुलर सर्जरी के प्रमुख डॉ. शिव चौधरी ने कहा, तंबाकू दुनिया में कार्डियो-वेस्कुलर मौत और अक्षमता का सबसे ज्यादा ज्ञात और रोकथाम योग्य कारण है। निकोटीन जैसे रसायन प्रकृति में संक्रामक होते हैं जिससे कोरोनरी समस्याएं होती हैं। यह सर्वविदित है कि धूम्रपान हृदय रोग का खतरा बढ़ता है लेकिन तथ्य यह है कि तंबाकू के धुएं रहित रूप समान रूप से हानिकारक हैं।

ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस -2) 2016-17 के अनुसार, भारत में धुआं रहित तंबाकू का सेवन धूम्रपान तम्बाकू से कहीं अधिक है। वर्तमान में 42.4 प्रतिशत पुरुष, 14.2 प्रतिशत महिलाएं और सभी वयस्कों में 28.6 प्रतिशत धूम्रपान करते हैं या फिर धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक इस समय 19 प्रतिशत पुरुष, 2 प्रतिशत महिलाएं और 10.7 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान करते हैं, जबकि 29 .6 प्रतिशत पुरुष, 12.8 प्रतिशत महिलाएं और 21.4 प्रतिशत वयस्क धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। 19.9 करोड़ लोग धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं जिनकी तदाद सिगरेट या बिड़ी का उपयोग करने वाले 10 करोड़ लोगों से कहीं अधिक हैं। सबसे चिंताजनक है कि प्रतिवर्ष देशभर में 10 लाख लोग इससे दम तोड़ रहे है। वंही देशभर में 5500 बच्चे हर दिन तंबाकू सेवन की शुरुआत कर रहें है और वयस्क होने की आयु से पहले ही तंबाकू के आदी हो जाते हैं।

टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई के प्रोफेसर और सर्जिकल ओन्कोलॉजी डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन शरीर के किसी भी हिस्से को इसके हानिकारक प्रभाव से नहीं बचाती। यहां तक कि धुआं रहित तंबाकू प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपों में भी इसी तरह के दुष्प्रभाव का कारण बनता है। हमारे शरीर के अंगों को सीधे नुकसान पहुंचाने के अलावा, धुआं रहित तम्बाकू का उपभोग करने वाले लोगों में दिल के दौरे के बाद मृत्यु दर में काफी वृद्धि करता है। तंबाकू के सभी उत्पादों और रूपों से आने वाले राजस्व की तुलना में सरकार के साथ-साथ समाज का तम्बाकू जनित बीमारियों की रोकथाम और उपचार पर होने वाला स्वास्थ्य पर खर्च कई गुना अधिक है।

संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने कहा कि अनुमान है कि सभी कार्डियोवेस्कुलर (सीवी) रोग का लगभग 10 प्रतिशत का कारण तंबाकू का उपयोग है। भारत में सीवी रोग की बड़ी तदाद को देखते हुए, इसका दुष्प्रभाव बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि जब सरकारें स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थापना के लिए बड़े पैमाने पर बजट खर्च कर रही हैं, उन्हें रोकथाम की रणनीतियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए, जिनमें तम्बाकू उपयोग में कमी करना प्रमुख है। तंबाकू निषेध दिवस पर हम सबको तंबाकू उत्पादों को अलविदा कहने का संकल्प लेना चाहिए ताकि आने वाले समय में हम इन आंकड़ेां को बदल पाये।

कमेंट्स