भारतीय लोग फिल्में देखना बहुत पसंद करते है। यदि आज हम अपने बचपन में झाँक कर देखे तो हम सोच पाएंगे की हमारी आज की सोच, विचार, भावनाएँ कहीं न कहीं फिल्मो से जुडी हुई है। यही हाल आज की पीढ़ी का भी है। हम देखते है की हमारे छोटे बच्चे टीवी पर फिल्मो और धारावाहिक या कार्टून देखकर वैसी ही बोलचाल और शब्द सीखते है। तो आपके बच्चे के दिमाग को विकसित करने के लिए कहीं न कहीं टीवी देखना एक अच्छा उपाय हो सकता है, बशर्ते की टीवी पर जो देखा जाए वह उचित हो।
तो चलिए आज हम उन १० हिंदी फिल्मों के बारे में बात करेंगे जिन्हें देखकर आप अपने बच्चों के साथ एक अच्छा समय तो बिताएंगे ही साथ में ये फ़िल्में आपके बच्चों को अच्छी सीख भी देगा और उचित राह पर चलने के लिए प्रेरित करेगा।
दंगल
यह एक खूबसूरत कहानी है एक पिता की जो अपने देश के लिए गोल्ड मैडल जितना चाहता है, वह चाहता है की उसकी बेटियाँ बेटों से आगे बढ़कर दिखाएं और देश के लिए कुश्ती में मैडल जीत कर लायें। यह कहानी बहुत ही भावनात्मक तरीके से एक पिता और बेटी के बीच के रिश्ते को दर्शाती है। इस फिल्म को देख कर आपके बच्चे महसूस कर पाएंगे की माता पिता अपने बच्चों के लिए कितना त्याग करते है। दो लड़कियाँ किस तरीके से दिन रात एक करके अपनी ज़िन्दगी में एक मुकाम हासिल करती है।
ऐसी फ़िल्में बच्चों को न केवल नये-नये करियर विकल्प के बारे में जागरूक करती है बल्कि उनका ध्यान स्पोर्ट्स और खेल कूद की तरफ भी आकर्षित करती है। कुल मिलकर दंगल एक बहुत ही बेहतरीन पारिवारिक फिल्म है जो आपको अपने बच्चों के साथ अवश्य देखनी चाहिए।
धनक
धनक दो छोटे-छोटे भाई बहन की कहानी है जिसमे बहन अपने नेत्रहीन भाई की आखों के ऑपरेशन के लिए छोटी सी उम्र में घर से निकल पड़ती है और उसकी आँखें ठीक करा के ही वापस घर लौटती है। यह एक चुलबुली कहानी है जहाँ आपको दो छोटे भाई बहनों का प्यार, अपनापन, चिंता, ख़याल के साथ ही उनकी मीठी नोंक झोंक भी देखने को मिलेगी।
यदि आपके घर में एक से अधिक बच्चे है तो आपको उन्हे यह फिल्म अवश्य दिखानी चाहिए। यह उनके बीच में प्यार बढ़ने में कहीं न कहीं मदद जरुर करेगा। मुसीबत के वक़्त में केवल अपना परिवार और अपने भाई बहन ही साथ देते है, इस फिल्म में यह काफी उम्दा तरीके से दिखाया गया है।
निल बटे सन्नाटा
यह कहानी एक ऐसी माँ की है जो दूसरों के घर में नौकरानी का काम करती है लेकिन उसका सपना है की उसकी एकलौती बेटी एक दिन पढ़-लिखकर बड़ी अफसर बन जाए और उसकी बेटी को दूसरों के घरो में काम न करना पड़े। लेकिन दूसरी तरफ उसकी बेटी कहि-न-कहि मन में ये सोंच कर बैठ जाती है की एक काम वाली की बेटी बड़े होकर काम वाली ही बन सकती है और कुछ नहीं।
यह बात उस माँ को बहुत परेशान करती है और जब वह देखती है की उसकी बेटी पढाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगा रही तो वह एक उपाय सोचती है और अपनी ही बेटी के स्कूल में अपना एडमिशन करा लेती है। उसकी माँ उसके स्कूल न आये इसके लिए माँ और बेटी में बड़ी जद्दोजेहत होती है लेकिन अंत में बेटी को समझ आता है की उसकी माँ ने जो किया उसी की भलाई के लिए किया।
जब हम अपने बच्चों को पढाई करने के लिए बोलेते हैं तो हमारे बच्चों को यह बात पसंद नहीं आती, लेकिन उनको यह समझना जरुरी है की सब उन्ही की भलाई के लिए है ताकि कल को ज़िन्दगी में उन्हें मुसिबतों का सामना न करना पड़े। इसके लिए आप अपने बच्चों को एक बार यह फिल्म जरुर दिखाएँ। अपने परिवार के साथ यह फिल्म देखें और उनके साथ एक सुहानी शाम का आनंद ले।
चाक एंड डस्टर
जैसा की नाम से ही समझ आ रहा है इस फिल्म की कहानी एक स्कूल के इर्द-गिर्द घूमती है जहाँ सब कुछ खुशनुमा है। लेकिन एक दिन स्कूल की रिसेप्शनिस्ट मौके से स्कूल की प्रिंसिपल बन जाती है और स्कूल के सभी अध्यापिकाओं के बीच में कोहराम मचा देती है।
वह कक्षार्थियों की पढ़ाई पे ध्यान न देकर स्कूल के अधिक पैसा कमाने पर ध्यान देने लगती है और पुरानी व तजुर्बेदार टीचर को हटाकर नयी कम सैलरी वाली टीचर रखने का अभियान छेड़ देती है। लेकिन स्कूल की दो टीचर जो की शबाना आज़मी व जूही चावला है इस सबका डटकर सामना करती है और उस प्रिंसिपल को स्कूल छोड़ने पर मजबूर कर देती है।
इस फिल्म में एक अध्यापक और छात्रों का जो रिश्ता है उसे बड़े ही खूबसूरत ढंग से दिखाया गया है। आप देख पाएंगे की अपनी प्यारी टीचर के पुराने छात्र जो की अब देश विदेशों में नौकरी कर रहे होते है कैसे उन्हें बचाने के लिए एकजुट हो जाते है। यह फिल्म आपके बच्चों के मन में अपने टीचरों के प्रति आदर-सम्मान की भावना जगती है और उनके उपकार को सदैव याद रखने की प्रेरणा देती है। आप सभी अपने बच्चों के साथ यह फिल्म अवश्य देखें।
स्टैनले का डिब्बा
यह कहानी हमारी आज की हाई सोसाइटी में बाल मजदूरी किस हद तक फैली हुई है यह दिखाती है। स्टैनले नाम का एक बच्चा जो की अनाथ होता है और अपने घर से अपना खाने का लंच नहीं ला पता, उसे किस तरीके से स्कूल के एक टीचर द्वारा दुत्कार मिलती है यह देखना बहुत ही मार्मिक है, लेकिन यह एक कड़बी सच्चाई है जो फिल्म में बहुत ही बढिया तरीके से दिखाया गया है।
स्टैनले अपना डिब्बा न लाने की वजह से अपने दोस्तों के कहने पर उनके खाने का कुछ हिस्सा उनके साथ मिलकर खा लेता है जो की हिंदी के अध्यापक को बिलकुल पसंद नहीं आता और वो स्टैनले को बुरा भला कहने लगते है। किसी को यह नहीं मालूम होता की स्टैनले एक बाल मजदूर है और ढाबे पर काम करता है। अंत में स्टैनले अपना खाने का डिब्बा लेकर आता है जो की ढाबे के स्वादिष्ट खाने से भरा होता है, यह देखकर अध्यापक को अपनी गलती का एहसास होता है।
फिल्म का निर्देशन काफी बढ़िया है तथा यह फिल्म अपनी कहानी-विषय के कारण काफी अवार्ड भी जीत चुकी है। अपने बच्चों के साथ यह फिल्म जरुर देखें, आपके बच्चों को कहीं न कहीं यह महसूस होगा की वह खुशकिस्मत है कि वे अपने माता-पिता के साथ है और उसे अपना खर्च चलाने के लिए बाल मजदूरी करने की आवश्यकता नहीं।
आई ऍम कलाम
यह फिल्म हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी के नाम पर बनायी गयी है। इस फिल्म की कहानी एक ऐसे बाल मजदूर की है जो पढ़ाई लिखाई का बहुत शौक़ीन होता है। वह एक दिन टीवी पर अब्दुल कलाम जी का भाषण सुनकर इतना प्रभावित होता है की अपना नाम बदलकर कलाम रख लेता है और ठान लेता है की वह एक दिन पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनेगा और अब्दुल कलाम जी से जरूर मिलेगा। अब्दुल कलाम जी के लिए उसकी लिखी गयी स्पीच को प्रथम पुरस्कार मिलता है, लेकिन तब तक हालात बदलते चुके होते है, उस बच्चे के सर पर चोरी का झूठा इल्जाम लग जाता है।
यह फिल्म आपको अपने बच्चों के साथ मिलकर जरुर देखनी चाहिए ताकि उनको ये समझ आये की इस दुनिया में ऐसे कितने ही बच्चें है जो पढ़ना चाहते है लकिन संसाधनों के अभाव में वे पढ़ नहीं पाते। यह फिल्म हमारे समाज की एक बहुत बड़ी सच्चाई को दिखाती है।
चिल्लर पार्टी
यह फिल्म बच्चों के ऐसे गैंग के बारे में है जो एक जानवर को बचाने में तरह तरह के पैंतरे अपनाते हैं। फिल्म की शुरुआत गैंग के प्रत्येक बच्चे के परिचय से होती है। एक बच्चे का जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, तोते आदि के लिए कैसा बेंताह प्यार होता है वह इस फिल्म में आपको भरपूर देखने को मिलेगा।
यह कहानी बहुत ही भावुक और दिल को छू लेने वाली है जो यह दर्शाती है की बच्चों का मन कितना साफ़ होता है और वो जिसे प्यार करते है पूरे साफ़ मन से करते है। यह फिल्म आपके बच्चे के अन्दर दया, भाव, अपनापन जगाने के लिए काफी बेहतरीन है।
हवा हवाई
हवा हवाई की कहानी एक ऐसे बच्चे के बारे में है जो काफी अच्छी स्केटिंग करता है और उसके अन्दर काफी स्केटिंग का हुनर भी है किन्तु वह एक चाय की दुकान पर काम करता है। अनिकेत नामक व्यक्ति जो की स्केटिंग ट्रेनर होता है उस बच्चे से मिलकर बड़ा प्रभावित होता है और उसे मुफ्त में ट्रेनिंग देता है और वह बच्चा एक दिन अपने मुकाम पर पहुँचता है।
यह फिल्म सिखाती है की जीवन में चाहे जो हो लेकिन कभी हार नहीं माननी चाहिए। यदि आपका बच्चा सोचता है की हकीकत की दुनिया केवल अवेंजेर्स, कार्टून और हल्क के आजू बाजू ही घुमती है तो यह फिल्म आपके बच्चे के लिए काफी दिमाग खोलने वाली साबित होगी। उसे समझ आएगा की हकीकत की दुनिया में सब उतना आसान नहीं जितना सिनेमा में दिखाया जाता है।
स्लम डॉग मिलिनिअर
हम सभी जानते है की यह ऑस्कर विजेता फिल्म केवल बच्चों को ही नहीं बल्कि बड़ो और हर उम्र के व्यक्ति द्वारा भी खूब पसंद की गयी थी। यह कहानी है एक ऐसे लड़के की जो मुंबई की झुग्गिओं में रहता है और बड़े होकर एक दिन एक रियलिटी शो में करोड़ो कमाता है। वह लड़का अपने जीवन के संघर्षों, खराब समय और दयनीय वक्त को याद करके हर सवाल का सही जवाब देता है और करोड़ो जीतने में कामयाब हो जाता है।
हॉलीवुड निर्देशक डैनी बॉयलके द्वारा बनायी गयी यह फिल्म अपने आप में बेमिसाल है। ऐसी फिल्म आपके बच्चों को अवश्य ही ज़िन्दगी की काफी सच्चाईयों से अवगत कराएगी।
लाइफ ऑफ़ पाई
यह कहानी है एक ऐसे लड़के की जो एक खुन्कार शेर के साथ एक नाव में बीच समंदर में फँस जाता है। अपनी जान बचाने की खातिर वह उस नाव पर शेर के साथ रहकर जीवन का एक अलग अनुभव सीखता है, एक जंगली शेर को पालतू कैसे बनाया जाता है, खाना न होने पर कैसे अपना पेट भरा जाता है। बीच समंदर में तूफ़ान आने पर एक छोटी सी नाव पर कैसे खुद को बचाया जाता है।
इस फिल्म में इतना कुछ है आपके बच्चों के लिए और आपके लिए भी की इसे देखकर आप इसकी तारीफ किये बिना नहीं रह पाएंगे। इस फिल्म में दिखाया गया है कि इन्सान के जीवन में कितना भी बुरा और दुखदायी वक़्त क्यों न हो, हिम्मत और जज्बे से उसका सामना करके, धैर्य और साहस जुटा कर उसे जीता जा सकता है।