एक नन्हे मेहमान के आने की ख़ुशी से माता – पिता के साथ साथ बाकि पारिवारिक सदस्य भी पुलकित हो उठते हैं। घर का माहौल ही बदल जाता है, सब कुछ आने वाले नन्हे मेहमान के इर्द गिर्द सुनियोजित किया जाने लगता है, एक एक दिन, गिन गिन कर व्यतीत होता है। बहुत सी खुशियों के बीच सावधानियों से भी भरा होता है यह नौ महीने का अंतराल। ऐसे में गर्भावस्था की सामान्य गलतियां, जिस से हर गर्भवती महिलाओं को बचना चाहिए का ज्ञान होना बहुत आवश्यक हो जाता है।
गर्भावस्था के दौरान माँ के मन और शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं। यदि स्त्री पहली बार माँ बन रही हो तब तो स्थिति और भी तनावपूर्ण होती है, बहुत सी सलाह एवं हिदायतें मिलती हैं, गर्भवती स्त्री भी बहुत कुछ जानना चाहती है।
तो आइए चर्चा करते हैं कुछ ऐसी बातों की (गर्भावस्था की सामान्य गलतियां) जिनको जानना जरुरी है:-
- सबसे पहले तो अपनी गर्भावस्था को प्राकृतिक मानें, सहज रहकर इस अवस्था का अनुभव प्राप्त करें, बदलाव तो होंगे पर तनाव ना लेकर ख़ुशी ख़ुशी इन बदलावों को ग्रहण करें।
- गर्भधारण करते ही सबसे पहले एक अनुभवी महिला चिकित्सक से सम्पर्क करें। किसी भी नयी डॉक्टर की अपेक्षा अनुभव को वरीयता दें और फिर डॉक्टर की सलाहनुसार चलें। गर्भावस्था में नीम-हकीम या सुनी सुनाई ओषधियों का सेवन करने की गलती भूल कर भी ना करें।
- गर्भावस्था की शुरुआती दिनों में उल्टियां होने से स्त्री को खाना खाने से अरुचि हो जाती है। ऐसा अक्सर सुबह के समय होता है। ऐसी स्थिति में खाना छोड़ें नहीं, भूखे ना रहें, थोड़ी थोड़ी मात्रा में कुछ ना कुछ खाते रहें। भूखे रहने से आपको तथा शिशु को उचित पोषण नहीं मिल पाएगा।
- कुछ गर्भवती महिलायें बहुत अधिक खाने लगती हैं, ये सोचकर की उनको दो लोगों का खाना है, ये गलती भी ना करें, ओवर ईटिंग भी आपका अत्यधिक वजन बढ़ा देगी जो प्रसव के समय एक समस्या बन जाती है। खाएं सब कुछ पर मात्रा का ध्यान रखें, एक सुनियोजित पौष्टिक खान पान की शैली अपनाएं। जंक फ़ूड, शराब, धूम्रपान, चाय, कॉफी तथा बासी फल सब्जियों के सेवन से बचें।
- अपनी डॉक्टर की सलाहनुसार सभी टॉनिक, विटामिन्स और टीकाकरण जरूर करवाएं। ये सब आपके और शिशु लिए फायदेमंद होंगे। यह सब बहुत आवश्यक होता है, इनको नकारना भविष्य में समस्या का कारण बन सकता है।
- यदि आपकी गर्भावस्था सामान्य है तो अपने आप को एक्टिव रखें। रोजमर्रा हल्के कार्य करते रहें, डॉक्टर की सलाहनुसार टहलना, योग और मैडिटेशन अवश्य करें।
- भारी सामान उठाने, खिसकाने से बचें। कुर्सी, स्टूल पर चढ़कर सफाई इत्यादि ना करें। घर के सफाई संबधित हानिकारक रासायनिक पदार्थ का उपयोग ना करें।
- यदि आप वर्किंग हैं तो अपनी सीट पर लम्बे समय तक बैठने से बचें या फिर बहुत देर तक खड़े ना रहें। कार्य के बीच में हल्का टहलना, तरल पदार्थ या पौष्टिक खाना अवश्य लेते रहें। ज्यादा देर बैठने या खड़े रहने से पैरों के रक्तप्रवाह पर प्रभाव पड़ता है उन पर सूजन आ सकती है।
- अपनी चप्पल या सैंडिल का चुनाव करने में अत्यंत सावधानी बरतें। ज्यादा हील और टाइट चप्पल न पहनें। आरामदायक चप्पल जूते पहनें और तेज चलने से बचें।
- अपने कपड़ों के चुनाव में भी ध्यान दें, ज्यादा कसे हुए कपड़े ना पहनें और ऐसे कपड़े भी न पहनें जिन में पैर फँस कर गिरने का खतरा हो।
- यदि आप टू व्हीलर चलाती हैं तो गर्भावस्था में ऐसा न करें, गर्भावस्था के शुरू के दिनों में चक्कर आने या ब्लड प्रेशर के कम या ज्यादा होने के कारण संतुलन बिगड़ सकता है। जिससे शिशु तथा आपको चोट लगने की सम्भावना हो सकती है। फोरव्हीलर चला सकते हैं पर उसमे भी अपनी सुरक्षा हेतु कार सीट बेल्ट जरूर बांधें और ध्यान रखें कि सीट बेल्ट पेट के ऊपर अत्यधिक कसकर न बांधें जिससे आपके गर्भाशय में सकुंचन हो।
- यात्रा करते समय आप कोशिश करें की आप सड़क मार्ग की अपेक्षा रेल मार्ग को प्राथिमकता दें। यदि सड़क मार्ग अपनाना ही पड़े तो खराब सड़कों, गडढों के प्रति अतिरिक्त सावधानी रखें। यात्रा के दौरान भी अपनी पोजीशन बदलते रहें, पानी पीते रहें और बीच-बीच में थोड़ा विश्राम लेते रहें। हवाई यात्रा में भी कुछ एयरलाइनस गर्भवती महिला की अंतिम तिमाही में डॉक्टर द्वारा “परमिशन टू फ्लाई” सर्टिफिकेट मिलने पर ही उड़ान की इजाजत देती हैं। एयरलाइन द्वारा ऐसा करना आपके हित में ही होता है।
- उपरोक्त सावधानियाँ रखने के साथ ही सोते समय अत्यंत आरामदायक अवस्था में सोयें, पेट के बल ना सोयें, यदि घर में अन्य छोटे बच्चे हैं तो ध्यान रखें कोई बच्चा आपके ऊपर न कूदे, नींद में करवट ध्यान से लें। उठते समय झटके से ना उठें। नींद से उठकर थोड़ी देर बिस्तर पर बैठे रहें फिर धीरे से उठें।
- यदि घर में पालतू जानवर है तो गर्भावस्था में बेहतर होगा उनकी देखभाल परिवार के अन्य सदस्यों को करने दें। इससे संक्रमण तथा दुर्घटना से आप अपना बचाव कर पाएंगे।
स्त्री का गर्भाशय शिशु के लिए एक बेहतरीन सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। कई सतह और परतों के बीच शिशु बेहद सुरक्षित रहता है। ईश्वर की यह रचना अद्भुत है, तनावरहित रहकर जननी होने का सौभाग्य प्राप्त करें। परन्तु किसी कारणवश पेट में तीर्व दर्द, योनि से पानी का रिसाव या ब्लीडिंग, शिशु की हलचल ना महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ, ये कुछ वार्निंग साइन होते हैं जिन पर ध्यान देना अतिआवश्यक है ऐसे में घरेलू उपचार ना करें, डॉक्टर की सहायता लें और अपनी खुशियां बरकरार रखें।
Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। Sandeshaa.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क अवश्य करें।