वाट्सअप, फेसबुक, यू-टुयुब, जहाँ तक नज़र जाती है, ऐसा लगता है वजन कम करने और अनेक बीमारियों के इलाज की बाढ़ सी आ गई है, हर कोई अपने ज्ञान की गंगा बहाने में लगा है।
इन सब उपचारों के अतिरिक्त आप को पुरानी से पुरानी कसरत भी नये फ्लेवर में हर जगह मिल जाएगी। एक सरल, सहज योग भी अब योगा और पावर योगा हो गया है, स्कूल में होने वाली पी.टी., एरोबिक्स, जुम्बा, बन्जी, स्कॉट के नए अवतार में सज धज गयी है। जितने नये नाम, उतना ज्यादा क्रेज़। जिम जाना एक स्टेटस सिंबल हो गया है।
धन और समय के बर्बादी की ये अंधी दौड़ कहीं रुकने का नाम लेती नहीं दिखाई देती है। कभी-कभी तो इन सब के भयंकर परिणाम भी दृष्टिगोचर होते हैं। पर आधुनिकता इस क़दर हावी है कि कोई सोचना ही नहीं चाहता। और यदि कुछ भले मानस सोचना भी चाहे तो उनको पिछड़े होने के खिताब से निवाज़ा जाता है। आप एक बार अपने मित्र वर्ग में कह कर देखिये कि आप घर का काम खुद करती हैं और फिर देखिये मित्रों के चेहरे के भाव। आजकल का ये फैशन हो गया है कि घर के सारे काम नौकरानी करे और हम अपनी सेहत ठीक रखने के लिए जिम जाएँ। यानि की जेब पर दोहरी मार, नौकरानी की तनख्वाह भी और जिम की फीस भी।
यदि हम थोड़ा सोच का दायरा विकसित करें तो समझने में देर नहीं लगेगी कि रोजमर्रा के घर के काम हम स्वयं करने लगे तो इस से बेहतर किसी जिम की एक्सरसाइज नहीं हो सकती। आजकल बहुत सी महिलायें नौकरीपेशा वाले है, उनके पास इतना समय नहीं होता कि वे घर के काम स्वयं कर पाएं, परन्तु नौकरीपेशा और वर्किंग वुमन को भी अपनी सेहत ठीक रखने के लिए जिम जाने का समय निकालना पड़ता है, यदि चाहे तो इसी समय में कोई अपना मनपसंद घर का काम कर लें तो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दुरुस्त रहेगा। मुश्किल तो है पर असंभव नहीं है। आइये जानते है घर के ऐसे कार्य जिन से हमें स्वास्थय लाभ हो सकता है:-
कुकिंग (खाना बनाना)
अपने हाथ से बने खाने का स्वाद ही अलग होता है। पहले जमाने में महिलाएं जमीन पर बैठ कर खाना बनाती थीं एक सब्जी बनाने में पांच से छः बार उनके उठक बैठक (Situps) हो जाते थे। आज खड़े होकर खाना बनाया जाता है इसमें भी हमारी बॉडी की भरपूर स्टेचिंग होती है। आटा गूथना, रोटी बेलना इत्यादि कई सूक्ष्म क्रियाएं है जो हमारी छोटी मांसपेशियों को गतिमान रखती हैं। रसोईघर में खाना बनाने के लिए कई बार शरीर कई कोणों से स्ट्रेच होता है।
घर की सफाई
घर की सफाई एक ऐसा कार्य है जिस को करने से पूरे शरीर की कसरत हो जाती है। शरीर को विभिन्न प्रकार से झुकाना, पोछे की बाल्टी उठाना, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength Training) से कम नहीं, यदि कोई शारीरिक समस्या ना हो तो पूरे शरीर के जोड़ों का व्यायाम हो जाता है। पसीना निकलने से रोम छिद्र भी खुल जाते हैं और कैलोरी भी बर्न होती है।
झाड़ पोछ (Dusting) करना
दरवाजे, खिड़कियां, अलमारी, फर्नीचर, पंखे आदि को नियमित रूप से झाड़ पोंछ कर के साफ़ रखने की जरूरत पड़ती है। इन सब कामों से भी पसीना बहता है और हमारे शरीर के टोक्सिन बाहर निकलते हैं रक्त प्रवाह ठीक रहता है। यह एक बेहतरीन कार्डिओवस्कुलर एक्सरसाइज हो सकती है। हृदय भी स्वस्थ और मजबूत बनता है।
बागबानी करना
जिम की बेजान, नीरस मशीनों के साथ अपना कीमती समय बिताने से ज्यादा अच्छा है, रंगबिरंगे, जीवित पोधों और मिटटी की सोंधी खुशबू के साथ समय बिताया जाये। यह आपको भरपूर मानसिक शान्ति भी देगा और आपकी बगिया भी खुशहाल रहेगी। छोटे से पोधे या बीज़ को बड़ा आकार लेते हुए देखना एक बेहद सुखद अनुभूति है। कुछ समय बागवानी करने से आप अपना तनाव कम कर सकते हैं।
बर्तन धोना
अपने घर के बर्तनों को धोना आपके कंधे के जोड़ तथा हाथों के लिए एक उत्तम व्यायाम है। कन्धों का फ्रोज़न हो जाना आजकल एक आम समस्या है, चिकित्सक के अनुसार इसका समाधान दवाओं से ज्यादा शारीरक श्रम में है। बर्तन धोना भी शारीरिक श्रम है जिनसे सूक्ष्म तौर पर कंधे के जोड़ को गति गति मिलती है और वो जाम नहीं हो पाते।
प्राचीन समय की अपेक्षा अब घर के काम बेहद आसान हो गए है, हर एक कार्य के लिए छोटी से बड़ी हर तरह के मशीन बाजार में उपलब्ध है। इन सुविधाओं का लाभ उठाने में कोई नुकसान भी नहीं है परन्तु जहाँ तक संभव हो अपने शरीर को गति में रखें, कहीं पढ़ा था कि हरकत में बरकत होती है, इसलिए अपने शरीर को क्रियाशील रखें। घर के काम करने से शरीर में क्रियाशीलता बनी रहती है साथ ही स्वयं द्वारा किये कार्य से मानसिक व आत्मिक संतुष्टि भी प्राप्त होती है।
एक अध्ययन के अनुसार घर के कार्य करने से हमारी कैलोरी इस प्रकार बर्न होती है, कैलोरी बर्न होने का स्तर कार्य के रूप पर निर्भर करता है और कार्य के स्तर से प्रभावित होता है।
अनुमानतः:
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- तीस मिनट बागबानी करने से 315 कैलोरी बर्न हो सकती है। इसमें टांगो, पिंडलियों की कसरत होती है,
- बाग़बानी करना हृदय के स्वास्थ्य को उत्तम रखता है। सूखी पत्तियाँअपने बाग़ बगीचे से एकत्र करना, ब्रिस्क वाक करने के बराबर है।
- तीस मिनट तक घर की साफ़-सफाई के काम करके हम 200 कैलोरी बर्न कर सकते हैं।
- एक समय का खाना बनाने में (कार्य के स्तरनुसार) हम 80 से 100 कैलोरी बर्न कर सकते हैं।
इसी प्रकार बर्तन धोना, कपड़े प्रेस करना, कपड़े धोना, राशन स्वयं लेने जाना, सीढ़ियां चढ़ना-उतरना आदि कई ऐसे घरके काम हैं जिन को करने से हम अपनी सेहत ठीक रख सकते हैं।
महिलायें होम मेकर हैं, मकान को घर बनाने में महिला का ही योगदान है। आजकल तो वर्किंग वुमन दोहरी जिम्मेदारी भी निभाती हैं।अपनी नौकरी या व्यवसाय में कई बार शारीरिक से ज्यादा मानसिक श्रम होता है। ऐसे में मस्तिष्क को आराम देने के लिए एक स्नान, एक कप चाय, मनपसंद संगीत के साथ अपने स्वीट होम के काम। बस घर के काम को बोझ समझ कर न करें, उसमे आनंद अनुभव करें, आप खुद पर गर्व करेंगी।
यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस लेख का आशय यह कदापि नहीं है कि अपनी परिस्थति के विपरीत आप घर के काम करें, उदाहरण के तौर पर यदि आपके बच्चे छोटे हैं तो उन पर पूरा ध्यान देना ज्यादा जरुरी है। घर का काम करें अवश्य, पर तब जब आप उसमे आनंद का अनुभव कर सके, बोझ समझ कर नहीं। यदि आप पूरा दिन घर पर बोर हो रही हैं तो बेहतर होगा जिम की बजाय घर के काम करके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।