पहली बार मिला किसी ट्रांसजेंडर को पद्मश्री – नर्तकी नटराज की रोचक कहानी

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भारत में कुछ महान कलाकारों को भिन्न प्रकार के सम्मान द्वारा नवाजा जाता है। यह सम्मान उनको उनकी प्रतिभा और गुणों को परखने और देखने के बाद ही मिलता है। पद्मश्री, पद्मभूषण और भारत रत्न  यह कुछ ऐसे सम्मान है है जो भारत के सम्मानित कलाकारों को दिए जाते हैं और उनका गौरव परचम पूरे देश में लहराया जाता है। भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला वाला वाला गणतंत्र दिवस भारत के लिए एक गौरव की बात है जिसमें भारत के उन लोगों को सम्मान व पुरस्कार दिया जाता है जो भारत के लिए एक गौरव स्वरूप है। सम्मानित किए जाने वाले नामों की सूची पहले से ही तैयार कर ली जाती है इस बार भी 26 जनवरी से पहले ही उन नामों की सूची तैयार कर ली गई थी जिसमें 1 नाम नर्तकी नटराज – Narthaki Nataraj जो एक ट्रांसजेंडर है और भरतनाट्यम डांसर हैं को भी शामिल किया गया।

आज हम आपको उनके बारे में कुछ रोचक बातें बताने वाले हैं जो उनके जीवन की ऐसी सच्चाई है जिनमें उनके जीवन के उतार चढ़ाव और उनकी सफलता का राज छिपा हुआ है। तो आइए जानते हैं नर्तकी नटराज के जीवन का पूरा व्रतांत:

ट्रांसजेंडर – नर्तकी नटराज का जीवन

ट्रांसजेंडर यानी कि किन्नर जिनका जीवन सामान्य दिखता जरूर है लेकिन होता नहीं है। समाज में रहकर ने बहुत सी आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से बहुत से ट्रांसजेंडर अपनी सहनशक्ति और जीने की उम्मीद तक खो देते हैं। लेकिन ऐसे ही समाज के बीच में रहकर नर्तकी नटराज ने अपने हौसले बुलंद रखें और खुद को एक सफल नर्तकी के रूप में पेश किया। यही कारण है कि वह आज एक बहुत ही महान और प्रसिद्ध भारत नाट्य डांसर हैं और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भी हो चुकी है। उनका जीवन बहुत ही कठिनाइयों से गुजरा है उनके जीवन से जुड़ी सभी बातें आज हम आपको यहां पर बताने वाले हैं।

साल 1964 में जन्मी नर्तकी नटराज तमिलनाडु की रहने वाली है आज उनकी पहचान तमिलनाडु की एक बहुत बड़ी भरतनाट्यम नृत्यका के रूप में बन चुकी है। तमिलनाडु के मदुराई में रहने वाली धरती की नटराज को बचपन में ही यह बात ज्ञात हो गई थी कि वह एक ट्रांसजेंडर है, बचपन में ही उनकी मुलाकात शक्ति से हुई वह भी एक ट्रांसजेंडर थी इसलिए वे दोनों साथ रहने लगे और समाज के तिरस्कार को साथ में सहने भी लगे।

समाज और घर वालों से मिला तिरस्कार

समाज और घर वालों के इस तिरस्कार ने उन्हें अपना घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया जिसके बाद वह घर से निकल गए लेकिन पेट भरने के लिए पैसों की जरूरत के चलते उन्होंने नौकरी करनी शुरू कर दी। दोनों साथ में नौकरी करते लेकिन वहां भी उन्हें बहुत भिन्न प्रकार का तिरस्कार बर्दाश्त करना पड़ता है इसके बावजूद भी उन्होंने अपने जीवन में हार नहीं मानी। नटराज नृत्य का को बचपन से ही डांस का शौक था और यही हुनर उनके पास था जो उन्हें एक अलग मुकाम पर पहुंचा सकता था।

नटराज नृत्य का को अपने जीवन में एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो उन्हें डांस सिखा सके और उन्हें एक अलग पहचान समाज में दिला सके, परंतु बहुत कोशिशों के बाद भी उन्हें ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिल पा रहा था। उनकी यह तलाश जारी रही आखिरकार साल 1984 में उनकी यह तलाश पूरी हो गई जब उन्हें तंजोर श्री केपी कटप्पा पिल्लई मिले। उन्होंने उन्हें एक भरतनाट्यम डांसर बनने की पूरी तालीम दी और उन्होंने साथ ही उन्हें यह भी विश्वास दिलाया कि उनका यह डांस उन्हें एक दिन सफलता के आसमान पर ले जाकर बैठा देगा।

नहीं मानी हार

narthaki-nataraj

नर्तकी नटराज बहुत ही मेहनत और अपने कठिन परिश्रम किए बावजूद एक ऐसे पड़ाव पर पहुंच गई जहां उन्हें देश विदेश में बहुत से लोग जानने व पहचानने लगे।  देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उन्होंने बहुत से स्टेज शो किए जिसके बदौलत उन्होंने अपना एक अलग नाम और पहचान हासिल कर लिया था। उन्होंने 11 विनर तकिया नटराज के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई और सरकार ने भी उन्हें एक ऐसा स्थान प्रदान किया जहां पर पहुंचकर वह खुद को गौरवशाली महसूस करने लगी।

नर्तकी नटराज डांस सिखाने के लिए 1 स्कूल भी खुला जहां पर बहुत सारे बच्चे उनसे आज भी डांस सीखने के लिए आते हैं और वह उस स्कूल को आज भी बड़े चाव से चलाते हैं। सबसे रोचक बात तो यह है कि यहां पर ट्रांसजेंडर बच्चों को भरतनाट्यम की स्पेशल क्लासेज दी जाती हैं। नर्तकी नटराज में अपने इस प्रसंग से ट्रांसजेंडर की कम्युनिटी को एक अलग पहचान दी है जिसकी वजह से देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ट्रांसजेंडर को एक अलग सम्मान दिया जाता है।

नाटक की नटराज को यह पुरस्कार पिछले साल भी प्राप्त हुआ था और इस साल भी उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया है जो उनके लिए बहुत ही गर्व और सम्मान की बात है। उनकी यह जीत किसी स्त्री व पुरुष की नहीं बल्कि एक ऐसे समाज की है जो हमारे समाज में बहुत ही निंदनीय और आलोचनात्मक रूप से देखा जाता है। अपने जीवन में कड़े संघर्ष के बाद उन्होंने अपने इस कम्युनिटी के लिए एक ऐसा गौरवशाली सम्मान प्राप्त किया है जिसे देश और दुनिया हमेशा ही याद रखेगी।

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