विटामिन डी की कमी, कारण, लक्षण और बचाव

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हमारे स्वास्थ्य को बढ़ाने और बेहतर बनाये रखने में बहुत से तत्व सहायक होते है। किसी भी एक तत्व की कमी से शरीर और मन, मस्तिष्क का स्वास्थ्य डाँवाडोल हो सकता है। विटामिन डी भी एक ऐसा तत्व है जिस पर हमारे शरीर को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी है। विटामिन डी हमारी हड्डियों को मजबूत रखने में अत्यंत आवश्यक है, इस ढांचे के अंदर ही शरीर के सभी अंग सुरक्षित रहते है। यदि ये ढाँचा ही कमजोर हो गया तो शरीर रुपी इमारत को गिरने में देर नहीं लगती।

विटामिन डी हमारे शरीर को कैल्शियम ग्रहण करने की क्षमता प्रदान करता है, विटामिन डी की कमी से कैल्शियम अब्सॉर्ब नहीं होता तब शरीर हड्डियों से कैल्शियम लेने लगता है जिससे हमारी हड्डिया कमजोर होने लगती है। इस कमी से बच्चो में रिकेट रोग और बड़ो में ऑस्टियोमालासिया नाम का रोग हो जाता है जिनसे हड्डिया कमजोर और टेढ़ी हो जाती है छोटी सी चोट लगते ही फ्रैक्टर हो जाते है।

हर समय थकान का अनुभव, जोड़ों में दर्द, मासपेशियो में दर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना भी इसके के कारण हो सकता है। इसकी कमी से व्यक्ति तनाव, अवसाद, उदासी, भूलने की समस्या से भी ग्रस्त हो जाता है।

विटामिन डी शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, मधुमेह, कैंसर, रक्तचाप, अस्थमा और किडनी रोगो से भी बचाव करता है।

यह वसा में घुलनशील विटामिन है जो डी 2 और डी 3 के रूप में भी जाना जाता है, डी 2 हमे वनस्पति जगत से तथा डी 3 हमे माँसाहार से प्राप्त होता है। अध्ययन द्वारा पता चलता है कि डी 2 से ज्यादा डी 3 विटामिन डी की कमी को पूरा करने सक्षम है।

विटामिन डी की दैनिक आवश्यकता

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विटामिन डी की कमी के कारण

    • हमारे शरीर में इस विटामिन की कमी का एक मुख्य कारण है धूप में न बैठना, हमारी त्वचा सूर्य की किरणों से विटामिन डी प्राप्त कर लेती है। यह एकमात्र ऐसा विटामिन है जिस को हमारा शरीर खुद ही बना लेता है। इसीलिए इसको सनशाइन विटामिन भी कहते है। किसी भी कारणवश यदि हम सूर्य की रोशनी में नहीं बैठ पाते तो इस के लक्षण दिखने लगते है।
    • शाकाहारी होना भी इसका एक कारण हो सकता है, शाकाहारी व्यक्ति की तुलना में माँसाहार खाने वाले व्यक्ति में विटामिन डी की मात्रा ज्यादा होती है। मछली, अंडा, बीफ, लीवर, मछली का तेल इस विटामिन के अच्छे स्रोत है।
    • बढ़ती उम्र भी इसका कारण होती है, किडनी तथा अन्य अंग बढ़ती उम्र के कारण विटामिन डी को कन्वर्ट नहीं कर पाते है, उनकी कार्य क्षमता कम हो जाती है। इसकारण ही बुजुर्ग व्यक्ति कमजोरी का अनुभव करते है।
    • यदि आपकी त्वचा का रंग गहरा है तो भी आप में इस विटामिन की कमी हो सकती है, क्योकि गहरी त्वचा का मेलानिन विटामिन डी के निर्माण की प्रक्रिया में अधिक समय लेता है, त्वचा का हल्का रंग सूर्य की किरणों से विटामिन डी का निर्माण जल्दी कर पाता है।
    • वजन ज्यादा होना भी इसकी कमी का कारण होता है, फैट के कारण रक्त से विटामिन डी बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
    • पौष्टिक आहार की कमी, जंक फ़ूड ज्यादा खाना भी इसका एक कारण बन सकता है, कैफीन युक्त पदार्थ भी विटामिन डी के अवशोषण में विरोध उत्पन करते है।
    • इसके अतिरिक्त पाचन तंत्र की समस्या के कारण, गर्भधारण के कारण, स्तनपान के कारण भी इस विटामिन की कमी हो जाती है।

विटामिन डी की कमी के लक्षण

    • बिना श्रम थकान और पसीना आना
    • हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द
    • बच्चो में रिकेट्स, सूखा रोग
    • कमजोर इम्युनिटी सिस्टम
    • डिप्रेशन
    • छोटी सी चोट से फ्रैक्चर होना
    • पाचन सम्बन्धी समस्याए
    • ज्यादा नींद आना
    • शरीर का तापमान बढ़ना
    • हाई ब्लड प्रेशर
    • दाँतो और मसूड़ों की समस्या

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इस से बचाव

    • इस से बचने का सर्वोत्तम उपचार है सूर्य की रोशनी, सुबह की किरणे में कुछ देर अवश्य रहें। बिना सनस्क्रीन लगाएं सूर्य की रोशनी विटामिन डी को पूरा करती हैं।
    • यदि शाकाहारी हैं तो दूध व दूध से बने पदार्थ, मशरूम, ऑरेंज जूस, पालक, सोयाबीन, गाजर, मखाने इत्यादि अपने आहार में शामिल करें। इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी  सप्लीमेंट भी जरूर लें।
    • माँसाहारी हैं तो मछली, अंडे, कॉडलिवर आयल को खानपान में अवश्य शामिल करें। साल्मन तथा टूना फिश विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं।
    • ज्यादा चीनी तथा वसायुक्त खाद्य पदार्थ  का सेवन न करें। जंक फ़ूड से बचें और कैफीनयुक्त  पदार्थ  भी न लें। कैफीन विटामिन डी के अवशोषण में विरोध उत्पन्न करता है।
    • एक निश्चित अंतराल के बाद अपनी रक्त जांच करवाते रहें, 25 हाइड्रोक्सी विटामिन डी रक्त जांच में यदि लेवल 20 नैनोग्राम से 50 नैनोग्राम तक हो तो ये स्वस्थ व्यक्ति के लिए उपयुक्त है। 12 नेनोग्राम या उस से भी कम लेवल इस विटामिन की कमी को दर्शाता है। इसके उपचार हेतु सूर्य स्नान, खानपान तथा इसके सप्लीमेंट लेते रहें।

संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि विटामिन डी एक ऐसा सेतु है जो कैल्शियम को हमारी हड्डियों तक पहुँचाता है। शरीर के सभी क्रियाकलाप हड्डियों से जुड़ी मांसपेशियों द्वारा ही होते हैं। यदि हड्डियों में ही कमजोरी आ जाए, प्रत्येक कार्य करने में मुश्किल आती है। इसलिए स्फूर्ति बनाये रखने के लिए विटामिन डी की शारीर में कमी न होने दें।

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